Rejection अर्थात अस्वीकृति को कैसे हैंडल करें ?

मन किसी अनजानी शंका से दहल सा गया। मेरी लाडो रानी की आँखो मे आंसू देख कर मन काँप सा गया । बार बार पूछने पर उसने बताया आज के Poetry competition में उसकी selection नहीं हुई हैं....

Rejection अर्थात अस्वीकृति को कैसे हैंडल करें ?

फीचर्स डेस्क। जब भी मेरी लाडो रानी स्कूल से आती ज्यादातर मैं उस समय किचन में होती वह सीधा किचन मैं आ जाती और बिना रुके चहकते हुए आज दिन भर क्या हुआ बताती जाती। स्कूल से आने के बाद यह उसका रोज़ का रूटीन था। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती रोज के कक्षा कार्यों में भी अध्यापकों से सराहना मिलती थी इसीलिए मुझे बताने के लिए हमेश उत्साहित रहती। जैसे ही बिटिया के आने का समय होता कान उसकी आहट का इंतजार करते पर आज वह बिना आहट किए किचन में आकर मेरे कंधे से लगकर सुबकने लगी ।

मन किसी अनजानी शंका से दहल सा गया। मेरी लाडो रानी की आँखो मे आंसू देख कर मन काँप सा गया । बार बार पूछने पर उसने बताया आज के Poetry competition में उसकी selection नहीं हुई हैं। यह rejection उसके लिए बहुत कष्टदायी था और वह इसको स्वीकार ही नही कर पा रही थी।

पाठकों rejection की पीड़ा हारने से भी ज्यादा होती है। खासकर जब यह बच्चों के साथ होता है। बच्चों का मन फूल से भी ज्यादा कोमल होता है इसीलिए वह ज्यादा महसूस भी करते है। बच्चों को समझायें rejection का हमेशा सकरात्मक पहलू ही देखना चाहिए। हो सकता है rejection के बाद बच्चे उन सभी पहलूओं पर भी सुधार कर सकते हैं जिस पर कभी उनका ध्यान ही न गया हो। rejection के बाद हो सकता है बच्चे और भी मजबूत हो कर दृढ़ संकल्प के साथ सामने आए और सफलता प्राप्त करें । Rejection मिलने पर कभी भी घबराना नहीं चाहिये और ना ही ज्यादा निराश और दुखी होना चाहिये। Rejection ज़िन्दगी का हिस्सा है। ये हमें बहुत कुछ सिखा जाता है। अगर आप reject नहीं होगें, तो आपको बहुत सी चीजों का, बहुत सी बातों का पता ही नहीं चलेगा। बहुत सी बातों का एहसास हमें reject होने के बाद ही होता है।

Reject होने से इंसान की सोच में बदलाव आता है, नये अनुभव मिलते हैं, नये सबक मिलते हैं। हमें हमारी कमियों का पता चलता है। जिससे हमारी जिंदगी पहले से बेहतर हो जाती है। Rejection को दिल से ना लगायें। बार-बार इसके बारे में ना सोचें। बार बार इसके बारे में सोचने से आप पहले से ज्यादा परेशान होंगे। अपने rejection और खुद से थोडा अलग भी सोचें। आप से अलग भी एक दुनिया है। बाहरी दुनिया से सम्पर्क जोड़े। नये लोगों से मिलें। नई जगहों पर जायें। अपने दिमाग को अच्छे और नये कार्यो में लगायें।ध्यान रखिये कि अवसर आपको आगे भी मिलेंगे। इसलिये निराश होने की बजाय आने वाले अवसरों के लिये अपनी कमर कस लें।

 मैने भी अपनी बिटिया को समझाया कि किन कमियों कि वजह से उसका selection नहीं हुआ। उसने भी उन कमियो पर फोकस किया और उस में सुधार कर अगली बार poetry recitation में पुरस्कार  भी जीता।

इनपुट सोर्स : दीपाली वासवानी, लखनऊ सिटी।