Holi Special : होलाष्टक के आठ दिन, जानें क्यों नहीं करें इन दिनों शुभ कार्य

होली के इस पर्व में होलाष्टक का विशेष महत्व है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन यानि फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को ही होलाष्टक कहा गया है...

Holi Special : होलाष्टक के आठ दिन, जानें क्यों नहीं करें इन दिनों शुभ कार्य

फीचर्स डेस्क। रंगों का पर्व होली पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। लोग रंग-गुलाल की मस्ती में सराबोर होकर आपसी भाईचारे को निभाते हुए प्रेम से होली खेलते हैं। होली के इस पर्व में होलाष्टक का विशेष महत्व है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन यानि फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को ही होलाष्टक कहा गया है। 

क्या करें होलाष्टक में

होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी लकड़ी, उपले व होलिका दहन के लिए दो डंडे स्थापित किए जाते है। एक डंडे को प्रह्लाद एवं दूसरे डंडे को उनकी बुआ होलिका माना जाता है। इसी दिन को होलाष्टक प्रारम्भ का दिन माना जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इन दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। विवाह,गृहप्रवेश,मुंडन, नामकरण एवं विद्यारंभ आदि सभी मांगलिक कार्य या कोई नवीन कार्य प्रारम्भ करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित माना गया है।

दान करना है श्रेष्ठ

ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार अष्टमी से पूर्णिमा तक नवग्रह भी उग्र रूप लिए रहते है ,यही वजह है कि इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका बनी रहती है। इन दिनों में व्यक्ति के निर्णंय लेने की शक्ति भी कमजोर हो जाती है। होलाष्टकों को व्रत,पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है। इन दिनों में किए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

शिव पुराण के अनुसार

देवताओं के अनुरोध पर कामदेव ने अपना प्रेम वाण चलाकर शिवजी की तपस्या को भंग कर दिया। इससे महादेव अत्यंत क्रोधित हो गए,उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से कामदेव को भस्म कर दिया। प्रेम के देवता कामदेव के भस्म होते ही सारी सृष्टि में शोक व्याप्त हो गया। अपने पति को पुनः जीवित करने के लिए रति ने अन्य देवी-देवताओं सहित महादेव से प्रार्थना की। प्रसन्न होकर भोले शंकर ने कामदेव को पुर्नजीवन का आशीर्वाद दिया। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को कामदेव भस्म हुए और आठ दिन बाद महादेव से रति को उनके पुर्नजीवन का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यह भी मान्यता है कि भक्त प्रह्लाद की अनन्य नारायण भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने होली से पहले के आठ दिनों में प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए थे। तभी से भक्ति पर प्रहार के इन आठ दिनों को हिन्दू धर्म में अशुभ माना गया है।