पितृ दोष से मुक्ति का दिन है हरियाली अमावस्या, पीपल वृक्ष की पूजा से मिलेगा धन वैभव

हरियाली अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति का दिन माना गया है। इस दिन पिंडदान और पितृ तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पितरों के लिए इस दिन किए गए कार्यों को उत्तम माना गया है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की विशेष महिमा के बारे में बता रहे है एस्ट्रोलॉजर विमल जैन....

पितृ दोष से मुक्ति का दिन है हरियाली अमावस्या, पीपल वृक्ष की पूजा से मिलेगा धन वैभव

फीचर्स डेस्क। भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के तिथि पर्व की अपने विशेष महत्वता होती है। विमल जैन बताते हैं कि सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि हरियाली अमावस के नाम से जानी जाती है। सावन मास की अमावस्या तिथि के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना के साथ ही दुर्गा जी और हनुमान जी के दर्शन पूजन एवं पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है। आज के दिन शिव पूजा विशेष कल्याणकारी होती है। आज के ही दिन शिव जी का रुद्राभिषेक करना भी विशेष लाभकारी माना गया है। विमल जैन ने बताया कि सावन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार 27 जुलाई की रात्रि 9:12 पर लगेगी जो कि अगले दिन गुरुवार 28 जुलाई को रात्रि 11:25 तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप हरियाली अमावस्या का पर्व गुरुवार 28 जुलाई को मनाया जाएगा। स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या भी आज ही के दिन मनाई जाएगी। जिन्हें पितृदोष हो उन्हें आज के दिन विधि विधान पूर्वक कर्मकांडी ब्राह्मण से पित्र दोष का निवारण करवाना चाहिए। 

दंपत्ति करें इस तरह से पूजा

आज के दिन पति पत्नी दोनों को गंगा स्नान या घर में स्नान के जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। पति पत्नी दोनों को यह पूजा साथ में मिलकर करनी चाहिए। पूजा के बाद दंपत्ति को प्रसाद भी खुद ग्रहण कर परिवार के सदस्यों में वितरित करना चाहिए। आज के दिन दंपत्ति को किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा जरूर लगाना चाहिए और उसकी देखभाल भी सदैव करनी चाहिए। जैसे जैसे यह पौधा विकसित होगा वैसे वैसे दंपत्ति के जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली बढ़ती जाएगी ।

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पीपल के वृक्ष की महिमा

पीपल के वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि विधान पूर्वक पूजा करने के बाद 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी देवता और आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित करके उन्हें भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन ना करवा सके तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहिए। सभी धार्मिक अनुष्ठान करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। पीपल के वृक्ष की पूजा का मंत्र है ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपाए अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः। आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या को संयमित करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा और सहायता अवश्य करनी चाहिए। इससे जीवन में सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।