शिक्षा के क्षेत्र में दे रहे है महायोगदान, पूरी दुनिया को एक साथ लाने का लाने का डॉक्टर जगदीश गांधी ने देखा था सपना 

शिक्षा के क्षेत्र में दे रहे है महायोगदान, पूरी दुनिया को एक साथ लाने का लाने का डॉक्टर जगदीश गांधी ने देखा था सपना 

"अगर किताबों का किया सम्मान

ऐ बंदे बढ़ जाएगा  फिर तेरा मान

सबको "जय जगत" बोल कर चला

अब तू शिक्षा का फूल खिला "

फीचर्स डेस्क। एक शिक्षित समाज का निर्माण करना हम सभी की जिम्मेदारी होती है ,एक मजबूत समाज हम तभी बना सकते हैं जब हर घर में शिक्षा हो। स्कूल की स्थापना 1959 में डॉ भारती गांधी और जगदीश गांधी ने की थी| इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बड़े स्कूल के रूप में उल्लेख किया गया है, जिसमें 55547 छात्रों की रिपोर्टिंग है। इस स्कूल का नाम सिटी मोंटेसरी स्कूल गया।

ऐसी बड़ी सोच रखने वाले डॉक्टर जगदीश गांधी का जन्म 10 नवंबर 1936 को बरसौली गांव सिकंदर राव जिला अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में हुआ था। बचपन से ही वह अपना आदर्श महात्मा गांधी को मानते थे ,उनकी हर बात से प्रभावित होते थे। हर वक्त महात्मा गांधी से मिलने का सपना देखते रहते थे। युवा जगदीश के चाचा प्रभु दयाल ने महात्मा गांधी के पास एक बार ले जाने का उनसे वादा किया था। जिससे युवा जगदीश उनसे आशीर्वाद ले सके और मिल सके। उनके चाचा प्रभु दयाल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। चाचा ने आश्वासन दिया कि वह उन्हें एक बैठक में महात्मा गांधी जी से मिलाएंगे। 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, दुर्भाग्य से हमारा देश 2 देशों में विभाजित हो गया, दंगे भड़के जगह-जगह, लड़ाई झगड़ा और 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी जी ने आखिरी सांस ली। उनकी गोली मारकर हत्या कर दी, मृत्यु का यह दुखद समाचार पाकर युवा जगदीश हिल गए,व्याकुल हो गए, दुख से उनका हृदय भर गया। उस दिन से जीवन भर महात्मा गांधी के आदर्शो पर चलने का खुद से ही उन्होंने वादा किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि वह हमेशा उनके बताए पथ पर ही चलेंगे। शिक्षा का दृढ़ता से प्रचार और प्रसार करने का फैसला किया। (11 साल की उम्र में युवा जगदीश ने अपना नाम बदल दिया), अब नाम बदलने का फैसला किया युवा जगदीश ने, इसके बाद अपने पिता को, अपने प्रधानाध्यापक को ,अपना नाम जगदीश अग्रवाल से बदलकर जगदीश गांधी लिखने पर राजी किया।  तभी से उन्हें जगदीश गांधी के नाम से जाना जाता है, उनके बच्चे और परिवार सभी गांधी के उपनाम को अपने नाम के साथ जोड़ते हैं।

एक या दो देश नहीं पूरी दुनिया को पूरे विश्व को साथ में लाने की मुहिम की शुरुआत की, उन्होंने अपने स्कूल में (जय जगत) का नारा दिया जिसके अंतर्गत पूरा विश्व आता है,ना की जय हिंद ,जय भारत उनका अभिवादन शब्द है। शिक्षा के माध्यम से पूरे विश्व में  युद्ध और लड़ाई जैसी मानसिकता को मिलकर खत्म कर सकते हैं। इस बात की उन्होंने कसम खाई। दुनिया के सभी देशों के अंदर एकता और शिक्षित समाज का निर्माण करके मानसिकता को बदलने की एक बड़ी मुहिम चलाई, इस काम को करने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई।

दूरदर्शी व्यक्ति जगदीश गांधी लगभग 60 वर्षों से दुनिया भर में शांति के पुलों का निर्माण कर रहे है। वो  हर प्राणी की अच्छाई में विश्वास रखते हैं, उनके लिए कुछ भी दुर्गम और कठिन नहीं है, हर तरह की परिस्थितियों में खुद की जिंदगी को कैसे निर्देशित करना है, उनको बखूबी पता होता था। अपने अंदर की शक्तियों को पहचान कर एक शिक्षित समाज का निर्माण करने के लिए, समाज में समानता लाने के लिए, पूरी ताकत झोंक कर उस क्षेत्र में काम किया। उस भरोसे का प्रदर्शन किया | उस मानवीय उदारता को प्रदर्शित किया। जिससे लोगो के दिमाग खुल गए, लोगों ने माना कि एक शिक्षित व्यक्ति पूरे समाज को बदल सकता है। बचपन से महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाले सादा जीवन जीने वाले डॉक्टर गांधी ने बड़ी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की।

यू एन ए  ने सिटी मोंटेसरी स्कूल सोसायटी को एक आधिकारिक एनजीओ के रूप में भी मान्यता दी है। इस प्रकार यह पहला और एकमात्र स्कूल है ,जिसे ये  ही दर्जा दिया गया है।

सीएमएस प्रांगण के अंदर 28 अंतरराष्ट्रीय आयोजन का उद्देश्य, दुनिया के सभी कोनों से, बच्चों को एक साथ लाना, शिक्षकों को एक साथ लाना है , एक बेहतर दुनिया को अपने अनुभव साझा करना, अच्छे विश्व का निर्माण करने के लिए जीना गांधी हमेशा ऐसी सोच के समर्थक रहे।  विश्व में शांति और एकता बनी रहे। सभी को एकजुट करके एक लक्ष्य रखना चाहिए। ये  उन्होंने संदेश दिया, कि शिक्षा ही सबसे शक्तिशाली हथियार है।

डॉक्टर जगदीश गांधी की सोच नेलसन मंडेला की सोच के अनुरूप ही थी, जिन्होंने कहा था कि (शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है ) जिसके उपयोग से हम दुनिया बदल सकते हैं। डॉक्टर जगदीश गांधी महात्मा गांधी जी के आदर्शो पर चलते थे। वो दोनो लोगो की जिंदगी से बहुत प्रभावित थे। अगर आप युद्ध के खिलाफ , एक वास्तविक युद्ध लड़ना चाहते हैं तो आपको शुरुआत बच्चों से करनी होगी ,बच्चों को शिक्षित बनाना होगा। तभी हम समाज को बदल सकते हैं दुनिया में शिक्षा का प्रसार करके। महात्मा गांधी के इन शब्दों पर दृढ़ता से विश्वास करते थे, फिर उन्होंने छोटी सी उम्र में शिक्षा के माध्यम से भगवान और मानवता की सेवा करने का फैसला किया था।

डॉक्टर गांधी को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। अध्यात्म और विश्व शांति पर उन्होंने 24 पुस्तकें लिखी ,जो दुनिया को एक सफल और बड़ा संदेश दे रही है। कई देशों में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में उन्होंने भाग लिया। उनके विविध प्रयोगों पर कैलिफोर्निया ने अमेरिकन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन एबीसी रेडियो द्वारा एक घंटे के लिए साक्षात्कार किया गया।

इनपुट सोर्स : मधु तिवारी, लेखक और सोशल एक्टविस्ट लखनऊ सिटी।