Expert Advice:कहीं आप भी तो पीसीओएस से ग्रसित नहीं,जानिये लक्षण और इलाज

जब हमारी बॉडी में हार्मोन्स की मात्रा कम या ज्यादा होती है तो एक इमबैलेंस क्रिएट होता है। जिससे महिलाओं में ओवरीज की फंक्शनिंग प्रभावित होती है। जो पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या को जन्म देती है.....

Expert Advice:कहीं आप भी तो पीसीओएस से ग्रसित नहीं,जानिये लक्षण और इलाज

फीचर्स डेस्क। पीसीओएस यानि पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में तेज़ी से बढ़ रही है। आजकल ये तकलीफ यंग गर्ल्स से लेकर मीडियम एज्ड फीमेल तक में देखी जा रही है। बेसिकली ये एक हार्मोनल बीमारी है जो कई  समस्यायों को जन्म देती है साथ ही इसका कारण भी एक ना हो कर ग्रुप ऑफ़ इश्यूज होता है। जिसमे मेन है लाइफस्टाइल डिसऑर्डर , महिला वर्ग में तेजी से पैर पसार रही, इस समस्या के ले कर हम पहुंचे गायनकोलॉजिस्ट रूबी भरद्वाज के पास , आइये उनसे जानते हैं इसके लक्षण और ट्रीटमेंट के बारे में

कारण

डॉक्टर रूबी कहती हैं कि जब हमारी बॉडी में हार्मोन्स की मात्रा कम या ज्यादा होती है तो एक इमबैलेंस क्रिएट होता है। जिससे महिलाओं में ओवरीज की फंक्शनिंग प्रभावित होती है। जो पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या को जन्म देती है।

लक्षण

कुछ महिलाओं में शुरुवाती दौर में पीसीओएस के लक्षण नज़र आ जाते हैं और कुछ में नहीं। इसलिए इसके हर छोटे से छोटे संकेत की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।

अनियमित, इररेगुलर पीरियड्स या फिर पीरियड्स की साइकिल लंबी होना।

सामान्य पीरियड्स और हैवी पीरियड्स के बीच 35 दिन या उससे ज्यादा का अंतर होना।

अचानक फेशियल हेयर्स बढ़ जाना या चिन पर ग्रोथ होने लगना।

लगातार ट्राई करने के बाद भी गर्भधारण ना कर पाना।

ओवरी के इर्द गिर्द सेक्स का बन जाना। 

वजन का लगातार बढ़ना।

अत्यधिक बाल झड़ने की समस्या होना।

चेहरे की त्वचा का ऑयली होना या फिर चेहरे, सीने या शरीर के ऊपरी हिस्से में मुंहासे होना।

हमेशा थका-थका महसूस करना या मूड स्विंग्स होना।

डायगनोसिस

अगर आपको मेंस्ट्रअल पीरियड्स, इन्फर्टिलिटी या मेल हार्मोन की अधिकता के संकेत मिलते हैं, तो आपको इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। पीसीओएस diagnose करने के लिए कोई एक टेस्ट नहीं है। डॉक्टर इसकी जांच करते हुए मरीज की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं, जिसमें उसके  पीरियड्स और वजन में आने वाले बदलावों को भी देखा जाता है। आपको इन जांचों से गुजरना पड़ सकता है।

Physical examination: इसमें डॉक्टर ब्लड प्रेशर, बॉडी मास इंडेक्स, कमर का आकार, चेहरे, सीने या पीठ पर अतिरिक्त हेयर ग्रोथ, मुंहासे या स्किन डिस्कलरेशन जैसे लक्षणों पर ध्यान देते हैं।

Pelvic examination: इसमें रीप्रोक्डिव ऑर्गन्स की जांच की जाती है, ताकि किसी हिस्से की ग्रोथ या किसी और एब्नॉर्मेलिटी का पता लगाया जा सके।

Pelvic ultrasound: इसमें ओवरी में सिस्ट और endometrium की जांच की जाती है।

Blood tests: इसके जरिए एंड्रोजन हार्मोन स्तर की जांच की जाती है। इसके अलावा डॉक्टर दूसरे हार्मोन्स जैसे कि थायरॉइड आदि की भी जांच करते हैं। डॉक्टर cholesterol levels और डायबिटीज की जांच भी कर सकते हैं।

इलाज के तरीके

पीसीओएस का ट्रीटमेंट आमतौर पर फिजिशियन  या फिर स्पेशलिस्ट देते हैं। इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं हो पाता, लेकिन इस कंडिशन को मैनेज जरूर किया जा सकता है। जरूरी दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत होती है। पीसीओएस ट्रीटमेंट में महिलाओं को होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे कि फर्टिलिटी, hirsutism, एक्ने, ओबिसिटी जैसी समस्याओं का निदान किया जाता है। इसमें ये चीजें भी शामिल हो सकती हैं

हार्मोनल बैलेंस : हार्मोन्स को बैलेंस कर के इस समस्या को रोका जा सकता है।  इस के लिए मेडिसिन और लाइफ स्टाइल चेंज रेकमेंड किया जाता है। 

पिल्स का कॉम्बिनेशन:समें कुछ स्पेसिफिक पिल्स का कॉम्बिनेशन दिया जाता है।  इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन होते हैं, जो एंड्रोजन के प्रोडक्शन में कमी लाते हैं और एस्ट्रोजन के स्तर को रेगुलेट करते हैं। हार्मोन्स को रेगुलेट करने से एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम कम हो जाता है। इससे अनियमित ब्लीडिंग, अत्यधिक हेयर ग्रोथ और मुंहासों की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

पीसीओएस एक कॉमन हार्मोनल कंडीशन है। अगर इसके लक्षण पहचान लिए जाएं तो लाइफस्टाइल में बदलाव, दवाओं और सही इलाज के जरिए इसे प्रभावी तरीके से मैनेज किया जा सकता है।

Image Source- Getty images