करिये प्रयागराज के प्रसिद्ध मनकामेश्वर नाथ का दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी

इस शिवलिंग के बारे मे मान्यता है कि सतयुग में यह लिंग स्वयं प्रकट हुआ था और भगवान् राम वनवास के समय जब प्रयाग पहुंचे तो अक्षयवट के नीचे विश्राम करके इसी शिव लिंग का जलाभिषेक किया था । यही पर माँ सीता ने कामेश्वर महादेव से वन से शकुशल लौटने की कामना की थी....

करिये प्रयागराज के प्रसिद्ध मनकामेश्वर नाथ का दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी

 फीचर्स डेस्क। गंगा यमुना के मिलन स्थल संगम के किला घाट से मात्र दस मिनट की दूरी पर यमुना किनारे सरस्वती घाट है। यह घाट पूरे प्रयागराज के सबसे खूबसूरत घाट में से एक है।  इस घाट पर बिल्कुल नदी किनारे मनकामेश्वर महादेव का दुर्लभ शिवलिंग है। कामेश्वर तीर्थ के बारे में शिवपुराण, पद्यपुराण व स्कंदपुराण में भी उल्लेख मिलता है कि भगवान् शंकर कामदेव को भस्म करके यहाँ लिंग के रुप में विराजमान हो गये थे। । इस शिवलिंग के बारे मे मान्यता है कि सतयुग में यह लिंग स्वयं प्रकट हुआ था और भगवान् राम वनवास के समय जब प्रयाग पहुंचे तो अक्षयवट के नीचे विश्राम करके इसी शिव लिंग का जलाभिषेक किया था । यही पर माँ सीता ने कामेश्वर महादेव से वन से शकुशल लौटने की कामना की थी। जब लंका पर विजय प्राप्त कर वापस भगवान राम प्रयाग पहुंचे तो ॠषि भरद्वाज से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद माता सीता के साथ मनकामेश्वर महादेव का दर्शन करने पहुंचे और फिर वापस अयोध्या पहुंचे। इस शिवलिंग के प्रति जनआस्था है कि यहां मांगी गई हर मुराद मुरी पूरी होती है।

4 सोमवार से बनते हैं काम 

मनकामेश्वर महादेव के बारे में कहा जाता है कि यहां लगातार चार सोमवार शिवलिंग के दर्शन से सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां हजारो लोगों की भीड़ साल के हर महीने देखने को मिलती है। मन कामेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामि श्री स्वरुपानन्द सरस्वती हैं।

 भूत- प्रेत -पिशाच देते हैं पहरा

जनश्रुति है कि इस सिद्ध पीठ में रात्रि को अंधकार में शिव परिवार के तमाम सदस्य, जिसमे भूत प्रेत पिशाच भी मंदिर परिसर में आते जाते है। बहुत से लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने भूतो को यहां पहरा करते देखा है। परंतु आज तक इसी को भी ऐसी किसी प्रलयंकारी ताकतो से परेशान नहीं किया । माना जाता है कि शिव के विश्राम के समय यहां भूत- प्रेत -पिशाच पहरा देते हैं ।

पूरे वर्ष कार्यक्रम 

प्रयागराज का यह सिद्धपीठ पूरे वर्ष  शिव भक्तों से गुलजार रहता है। सामान्य तौर पर प्रतिदिन यहां  जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक बिना रुके संपादित होते रहते हैं।  बाबा मनकामेश्वर के बारे में यह कहा जाता है कि जब कभी भक्त अपनी जिंदगी को हारने लगते हैं उदास हो जाते हैं कहीं कोई रास्ता नहीं सोचता तो ऐसे भक्त बाबा मनकामेश्वर की चौखट पर जाकर बैठ जाते हैं और जब उठते हैं तब उनकी समस्या का निदान हो चुका होता है । न जाने कितने भक्तों का यह दावा हर दिन देखने को मिलता है ।

प्रेमी जोडों की पूरी होती है मुराद 

यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित बाबा मनकामेश्वर अत्यंत सुंदर है और शेषनाग जी की मौजूदगी ने तो इस सौंदर्य को और भी बढ़ा दिया है। लेकिन यहां की जो सबसे खास बात है वह यह है कि यहां प्रेमियों की मनोकामना स्वतः पूरी होती है। लोगो का विश्वास है कि अगर पति पत्नी अथवा प्रेमी-प्रेमिका एक साथ बाबा के दर्शन कर मनोकामना व्यक्त करते हैं तो उनका मनोरथ निःसंदेह सिद्ध हो जाता है । अगर आप यहां दर्शन करने आते हैं तो आपको यहां जोडे मे दर्शन करने वालो की भीड देखने को मिल जायेगी।