श्री राम कथा के अंतिम दिन की कथा सुनकर भक्त हुए भाव-विभोर

श्री राम कथा के अंतिम दिन की कथा सुनकर भक्त हुए भाव-विभोर

वाराणसी सिटी। गणपति रेजिडेंसी, मंडुआडीह में चल रहे श्री राम कथा के पांचवें एवं अंतिम  दिन की कथा में व्यास अजय भाई रघुराई ने इस बात पर जोर दिया कि यदि राम प्रभु को अपने घर में लाना चाहते हैं तो दशरथ बने  अर्थात दसों इंद्रियों पर अधिकार पावे, यदि ऐसा न कर सकते तो राम का जन्म नहीं हो सकता। दशरथ और दशानन दो ऐसे व्यक्तित्व हैं जिसमें एक के घर राम और एक के घर काम रूपी में मेघनाद आता है।

विनय पत्रिका मैं मेघनाद को काम बतलाया गया है। दशरथ और दशानन में दस कामन है, यानि दसों इंद्रियों को रथ बना ले वह दशरथ और जो इसके बस में हो जाए वह दशानन (दसआनन)। दशरथ बनोगे तो राम आएंगे और दशानन बनोगे तो काम आएगा।  बाल रूप राम में मास्टर राधे बहुत ही मनोहारी लग रहे थे। कल कार्यक्रम में पूरे गणपति निवासियों ने बहुत ही हर्षोल्लास के साथ राम जन्मउत्सव मनाया और इस अवसर पर भंडारे प्रसाद की व्यवस्था की गई थी।वादन साज सज्जा अखिलेश विश्वकर्मा, विजय वर्मा, सुशील कनौजिया, भोला पांडे, राजन पटेल ने अत्यंत सुंदर प्रस्तुति दिये।