नियमित मेडिटेशन से होगी डिलीवरी नॉर्मल और बच्चा होगा हेल्थी जानिए मेडिटेशन के फायदे
होने वाली मां इन नौ महीने में कई भावनात्मक बदलावों से गुजरती है। कई बार ये बदलाव उसमे ला देते है डिप्रेशन। इस वजह से भी कई बार निर्मल डिलीवरी में दिक्कतें आती है। अगर आप भी मां बनने वाली है तो मेडिटेशन को अपना कर अपने बच्चे को स्वस्थ तरीके से जन्म दे सकती है। क्या है प्रेगनेंसी के टाइम मेडिटेशन के फायदे, जानते है…

फीचर्स डेस्क। एक औरत जब मां बनती है तो वो कई शारीरिक परेशानियों से गुजरती है। नौ महीने तक हर दिन कोई न कोई समस्या उसका वेट कर रही होती है। कभी भूख नहीं लगती तो कभी जी मिचलाता है। कभी बैचैनी महसूस होती है तो कभी आधी रात को कुछ खाने की इच्छा होती है। कभी चेहरा पीला पड़ जाता है तो कभी वजन बढ़ जाता है। अपने शारीरिक बदलाव को देखकर उस औरत के मन में कई तरह के विचार आने लगते है। उसे लगता है कि मैं इतनी मोटी हो गई हूं क्या कभी मेरा वजन ठीक हो पाएगा या कब तक ये सब चलेगा। हार्मोनल चेंजेज के कारण एक औरत बहुत पजल हो जाती है और उसका प्रभाव होने वाले बच्चे पर पड़ता है। इसलिए मेडिटेशन इस स्थिति में बहुत जरूरी है। आइए जानते है इसके फायदे।
मेडिटेशन है क्या
मन और विचारों की गति को शांत करना ही मेडिटेशन है। मेडिटेशन का फायदा ये है कि आप शांत अनुभव करते है। एक औरत के मन में जो उथल पुथल चल रही होती है उससे राहत मिलती है। आपका अपनी आत्मा से संबंध स्थापित होता है। मेडिटेशन में जब आप गहरी सांस लेते है तो अंदर से रिलेक्स महसूस करते है। मेडिटेशन से आपका दिमाग शांत होता है और आप बेहतर तरीके से सोच समझ सकते है। मेडिटेशन आपको फिर से काम करने की एनर्जी देता है।
शांत हो मेडिटेशन की जगह
जी हां ये बहुत जरूरी है कि जब आप मेडिटेशन करें तो आप सही जगह का चुनाव करें ताकि आप शांत होकर ध्यान लगा सके। जब आप बैठे तो ध्यान रहे कि आपकी कमर एक दम सीधी हो। जमीन में बैठे तो दीवार से पीठ टिका सकती है। कुर्सी पर बैठे तो सीधी तन कर बैठे और पैर नीचे रखें। कोशिश करें कि मेडिटेशन प्रकृति की गोद में करें यानि ओपन प्लेस जैसे गार्डन या बालकनी में करें जहां का वातावरण आपके मन को ठंडक पहुंचाएं। शोर शराबे वाली जगह से बचें।
कब करें मेडिटेशन
मेडिटेशन का सबसे उपयुक्त समय सुबह का होता है। आप सोने से पहले या दोपहर में खाने के दो घंटे बाद भी मेडिटेशन कर सकती है। बस इतना ध्यान रखें कि मेडिटेशन करते समय आपका पेट खाली न हो न ही ज्यादा भरा हुआ हो। आप किसी और की नकल न करें, जैसा आपको अच्छा लगे वैसे ही मेडिटेशन करें। मेडिटेशन करने से आप रिलेक्स रहेंगी और गर्भावस्था के दौरान बच्चे की सेहत के लिए भी जरूरी है कि आप रिलेक्स और खुश रहें।
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मेडिटेशन करने का तरीका
सबका अपना अपना तरीका होता है मेडिटेशन करने का। जैसे कोई मध्यम संगीत सुनकर ध्यान लगता है तो कोई भगवान का जाप करके। ॐ का उच्चारण करके मेडिटेशन करना सबसे बेस्ट है। इससे आप महसूस करेंगे कि आप अपने बच्चे से जुड़ रहे है। आपका बच्चा भी धीरे धीरे गर्भ में बढ़ता हुआ आपके साथ जुड़ेगा इस ॐ के उच्चारण के द्वारा। अनुलोम विलोम भी एक तरीका है मेडिटेशन करने का। जब सांस को अंदर और बाहर लेते है तो तरोताजा महसूस करते है आप और खुद के अंदर एक ऊर्जा का संचार भी देखेंगे आप।
मेडिटेशन का फायदा
मेडिटेशन करने के बहुत फायदे है और यदि आप गर्भवती है तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते है।
- मेडिटेशन से मां और भ्रूण के बीच संबंध मजबूत होता है क्योंकि मां जन्म से पहले ही अपने बच्चे के बारे में समझने लगती है।
- आपके दिमाग में चलने वाले उतार चढ़ाव को काबू में लाने के लिए मेडिटेशन बेस्ट है।
- डिलीवरी के पहले और बाद में होने वाले चेंजेज कई बार चिंता का विषय बन जाते है ऐसे में मेडिटेशन आपके दिमाग को स्थिर रखेगा।
- आपको अच्छे से भूख भी लगेगी और आपका पाचन भी ठीक रहेगा।
- सबसे जरूरी जब आप मेडिटेशन करते है तो आप रिलेक्स रहते है और आपको नींद भी अच्छी आती है।
- मेडिटेशन से आपके अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी आती है जिससे होने वाली मां खुश रहती है और बच्चे पर अच्छा असर पड़ता है।
तो आज से आप भी शुरू कर दें मेडिटेशन और अपने स्वस्थ बच्चे को जन्म दें बिना किसी टेंशन के।
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