छठ पूजा स्पेशल: सूर्य भगवान को समर्पित ये त्यौहार, जाने इस व्रत का पूरा विधि विधान

दिवाली के 4 दिन बाद मनाया जाने वाला ये त्यौहार बहुत सारी आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। उत्तर भारत में ये त्यौहार बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। आइए जानते है कब से मनाया जायेगा ये त्यौहार…

छठ पूजा स्पेशल: सूर्य भगवान को समर्पित ये त्यौहार, जाने इस व्रत का पूरा विधि विधान

फीचर्स डेस्क। छठ मईया को पूजा जाने वाला ये त्यौहार बिहार में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पूजा में साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। और पूजा करने वाली महिला 36 घंटे निर्जला व्रत रखती है। ये व्रत कठिन तो है ही पर व्रत रखने वाली की पूर्ण श्रद्धा भक्ति ही इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण है। छठ का त्यौहार दीवाली के 6 वें दिन पड़ता है जो कि नहाय खाय विधि से प्रारंभ होता है। 36 घंटे व्रत के बाद छठ मईया की पूजा और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से समापन होता है इस व्रत का। उत्तर भारत, बिहार और झारखंड में तो इस व्रत त्यौहार की रौनक देखने लायक होती है। सुबह शाम सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर अपने संतान की दीर्घायु की कामना की जाती है। 

पूजा तिथि और समय

नहाय और खाय से शुरू होने वाला छठ पूजा के व्रत का पहला दिन 18 नवंबर को है। छठ का दूसरा दिन जिसे खरना कहा जाता है , 19 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात को खीर का प्रसाद खाना होता है। छठ का तीसरा दिन 20 नवंबर को पड़ेगा जिसमे शाम को डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। और अगले दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होगा। सूर्योदय समय है सुबह 6.40 बजे और सूर्यास्त का समय है शाम 5.30 बजे। 

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छठ पूजा पहला दिन

चार दिन तक ये पर्व पूर्ण श्रद्धा,भक्ति से मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है। इस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल बनाकर भोग लगाकर उसे ही खाया जाता है। सबसे पहले व्रती भोजन करता है फिर परिवार जन भोजन खाते है।

छठ पूजा दूसरा दिन

खरना के नाम से छठ पूजा का दूसरा दिन होता है जिसमे महिलाएं शाम को लकड़ी के चूल्हे पे गुड की खीर बनाती है और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करती है। खरना की पूजा के बाद ही 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है और कहा जाता है कि छठ माता का आगमन हो जाता है व्रती के घर। छठ मईया सूर्य भगवान की बहन होती है।

छठ पूजा का तीसरा दिन

कार्तिक माह के शुक्ला पक्ष की षष्ठी तिथि को व्रती निर्जला व्रत रखकर छठ पूजा का भोग तैयार करती है। शाम के समय पूरे परिवार के साथ किसी नदी या तालाब में जाकर पानी में खड़े होकर अस्त होते सूरज को अर्घ्य देती है। छठ मईया को सभी मौसमी फल सब्जियां अर्पित की जाती है।

छठ पूजा का चौथा दिन

इस दिन व्रत का आखिरी दिन होता है। नदी या तालाब में खड़े होकर व्रती उगते सूरज की पूजा अर्चना करके उन्हें अर्घ्य देता है। अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की 7 या 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। उसके बाद एक दूसरे को छठ मईया का प्रसाद देकर व्रत खोलना चाहिए। छठ मईया का विशेष व्यंजन ढेकुआ का भोग आज के दिन लगता है।

तो आपने जाना कि चार दिन तक चलने वाला ये पर्व कितनी श्रद्धा और भक्ति से भरा हुआ है। तो आप भी छठ मईया और सूर्य भगवान की आराधना करें।