Basant Panchami 2023: आपके लाडले का पढ़ाई में नहीं लगता है मन, तो वसंत पंचमी के दिन ये उपाय जरूर करें

Basant Panchami 2023: आपके लाडले का पढ़ाई में नहीं लगता है मन, तो वसंत पंचमी के दिन ये उपाय जरूर करें

फीचर्स डेस्क। आज वसंत पंचमी है। वसंत पंचमी का दिन विद्या, ज्ञान, संगीत, और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी का दिन छात्रों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन स्कूलों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती की पूजा से छात्रों को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। वहीं जिन छात्रों का मन पढ़ाई में नहीं लगता या वो ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते उन्हें वसंत पंचमी के दिन कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन किए गए इन उपायों से मां सरवस्ती प्रसन्न होती हैं और विद्या, ज्ञान, संगीत, और कला का आशीर्वाद देती हैं।आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में...   

यदि बच्चा पढ़ाई से चुराता है जी तो करें ये उपाय 

यदि आपका बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है या पढ़ाई में उसका मन ही नहीं लगता, तो वसंत पंचमी के दिन बच्चे के हाथ से मां सरस्वती को पीले के फल अर्पित करवाएं। ऐसा करने से बच्चे का पढ़ाई में मन लगने लगेगा। इसके अलावा माता सरस्वती का एक चित्र बच्चे के स्टडी रूम में स्टडी टेबल के पास लगाएं।

पढ़ाई में नहीं लगता मन तो करें ये काम 

यदि विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता, तो उन्हें मां सरस्वती के मूल मंत्र 'ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः' का जाप करना चाहिए।

बच्चे को बोलने में है समस्या तो करें ये उपाय 

यदि आपके बच्चे की वाणी स्पष्ट नहीं है या उसे बोलने में समस्या होती है, तो वसंत पंचमी के दिन उसकी जिह्वा पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से 'ऊं ह्रीं श्री सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिख दें। ऐसा करने से आपका बच्चा वाणी दोष से मुक्त हो जाएगा। साथ ही उसकी भाषा भी स्पष्ट हो जाएगी।

घर का वास्तु करें सही  

कई बार वास्तु दोष के कारण भी छात्रों को अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते। इसलिए बच्चे के स्टडी रूम की दिशा का खास ख्याल रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा ध्यान और शांति की दिशा मानी गई है। ऐसे में ध्यान रहे कि अध्ययन कक्ष इन्हीं दिशाओं में हो और पढ़ते समय बच्चे का चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे।