अस्सी नदी का नाला अब गंगा में नहीं गिरेगा : कौशलराज शर्मा

अस्सी नदी का नाला अब गंगा में नहीं गिरेगा : कौशलराज शर्मा
वाराणसी।   जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने गंगा के निर्मलीकरण के लिए चल रहे कवायद का निरीक्षण करने सोमवार को अस्सी घाट पर पहुंचे। यहां घाट का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने गंगा उस पार बन रहे नहर को लेकर चिंता जता रहे विशेषज्ञों को इसका कारण बताया। जिलाधिकारी ने कहा कि विशेषज्ञ काफी समय से यह चिंता जता रहे है कि गंगा के प्रवाह के कारण घाट खोखले हो रहे हैं। इससे घाटों का क्षरण हो रहा है। इसे रोकने के लिए ही यह सुझाव दिए गए थे कि गंगा के प्रवाह को संतुलित करने के लिए उसके समानांतर एक अन्य जल प्रवाह मार्ग विकसित कर घाटों का क्षरण रोका जा सकता है। 
 
जिलाधिकारी ने कहा कि सिंचाई विभाग की तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण के पश्चात यह प्रोजेक्ट बनाया गया, जिस पर काम हो रहा है। इससे गंगा के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा, वह यथावत रहेंगी।   गंगा में शैवाल के आने की घटना का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जल निगम, सिंचाई, गंगा प्रदूषण, प्रदूषण बोर्ड तथा प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने जांच की। जिसमें पाया गया कि मिर्जापुर के पुरानी तकनीक के एसटीपी से पानी ओवरफ्लो होकर गंगा में आया। जिसके साथ यह शैवाल बहकर आयी और गंगा के पानी में उपयुक्त तापमान के कारण तेजी से विकसित हुई। 
 
 उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के अधिकारियों ने जर्मन कम्पनी से सम्पर्क करके बायोरेमिडियेशन केमिकल हासिल किया। जिसका स्प्रे नदी में कराकर शैवाल सफलता पूर्वक नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गंगा के पानी में गिरने वाले शहर के कुछ बचे हुए नालों की भी टैपिंग की जा रही है। जिसका कार्य जून तक पूरा होना है। इन नालों के मलजल को एसटीपी तक पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है। 
 
 जिलाधिकारी ने नगवा स्थित पंपिंग स्टेशन का निरीक्षण किया। जहां से अस्सी नाले का मलजल रमना एसटीपी को भेजा जाता है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि नाले को टैप करने के लिए रिटेनिंग वॉल का निर्माण कार्य नहीं किया गया है। जिस पर मौके पर उपस्थित कम्पनी एस्सेल इंफ्रा के क्वालिटी इंजीनियर को जम कर लताड़ा और चेतावनी देते हुए पंद्रह दिनों में काम पूरा कराने का निर्देश दिया। इस कार्य के पूर्ण होने से वाराणसी में गंगाजल वास्तव में निर्मल होगा। जिसका लोगों को दशकों से इंतज़ार था।