एक प्यार ऐसा भी....! 

एक प्यार ऐसा भी....! 

फीचर्स डेस्क। राज आफिस के लिए निकल ही रहा था कि पत्नी ने कहां आज आफिस से लौटते वक्त मेरे लिए हैंड बैग लेते आना। अगले महीने मायके में शादी थी। शायद सबिता को बैग की जरूरत महसूस हुई। पति ने बहुत ही उदास होकर कहा आज तो मेरे पास पैसे नहीं हैं कई दिन से साइकिल में पैडल लगवाना चाह रहा हूं लेकिन महीने के अंतिम सप्ताह के कारण पैसे किल्लत हर माह की तरह इस बार भी मन कसोटने के लिए अकेले छोड़ दिया है।

पत्नी मन ही मन गुस्साई तो बहुत लेकिन जिदंगी के इतने साल राज के साथ बिता लिये थे कि पति के झूठ बोलने की न पकड़ पाए इसी गुंजाइस ही नहीं थी। लेकिन रास्ते में जाते वक्त मन ही मन पत्नी के लिए बैग न ले पाने की दुख आफिस के 3 किलोमीटर दूरी को 30 किलोमीटर जैसी आभास करा  रहा था। राज पैडल तो मारता साइकिल आगे बढऩे के लिए लेकिन ऐसा लगता कि ऐसी नौकरी से क्या फायदा कि पत्नी के लिए एक बैग तक नहीं ले पा रहा हूं।

ऐसे में वह चलते चलते एक तरकीब निकाली। राज ने अपनी घड़ी को बेचकर अपनी पत्नी को बैग लेने की बात सोची और इसी सोच के साथ रास्ते के एक दुकान में बड़ी हिम्मत जुटाकर चला गया। दुकानदार ने नई घड़ी बिकने की उम्मीद से सुबह सुबह पूजा करते हुए कस्टमर को देखकर और जोर-जोर से मंत्र बोलने लगा रटा हुआ वहीं गायत्री मंत्र। लेकिन अब दुकानदार का और अधिक पूजा करने की हिम्मत जवाब दे दिया। पहला ग्राहक भगवान होता है। यह सोचकर उसने सामने बैठे भगवान से माफी मांग लिया। उस वक्त राज दुकानदार के सामने ऐसा खड़ा था जैसे सौ गुनाह करने के बाद पुलिस के सामने खड़ा हो। डर था उसके मना करने का तो दुखी था शादी में मिली घड़ी को कौड़ी के भाव बेचने की मजबूरी पर। लेकिन संतोष ये सोचकर कर रहा था कि आखिर पत्नी के लिए ही तो कर रहा हूं कौर सा जुंआ खेल रहा हूं। अब दुकानदार की बारी थी। राज ने कहा भाई साहब एक समस्या है।

दुकानदार समस्या  का नाम सुनकर सामने बैठे मंदिर की तरफ देखकर मन ही मन बोला भगवान ये कैसी समस्या है। लेकिन ग्राहक तो ग्राहक होता है। दुकानदार ने बोला बोलिए घड़ी खराब हो गई है  क्या। शायद दुकानदार ने राज के हाथों में पड़ी 30 साल पुरानी घड़ी को देख लिया था। इतना सुनते ही राज ने कहा कि नहीं बनवाना नहीं है बेचना है। पहले तो दुकादार को एकबार फिर गुस्सा आया लेकिन क्या करता उसने कहां क्यों बेचना है तो राज ने अपनी समस्या बतायी।

किसी तरह से दुकानदार 300 में घड़ी खरीदने के लिए तैयार हो गया। घड़ी बेचकर राज अब हैंड बैग की दुकान पर पहुंचा, बैग तो बहुत अच्छी -अच्छी लगी थीं। लेकिन जेब में सिर्फ 300 रुपए होने के कारण दुकानदार से सस्ती बैगी की फरमाइश किया। दुकानदार ने लाल रंग की एक बैग दिखाया जिसकी कीमत 250 रुपए था। राज ने दूसरी दिखाने के बजाय उसको पैक करने को कहा। दुकानदार को पैसे दिये तब तक समय 12 बज गए थे तो आफिस जाने और ऑफ डियूटी करने के बजाय राज घर लौटना मुनासिब समझा और घर की तरफ लौट पड़ा। घर लौटते समय बचे हुए 50 रुपए का बच्चों के लिए कुछ खाने की चीजें खरीदी और पैडल जोर जोर से मारने लगा। उस समय राज की हालत ऐसी थी कि आपको फिल्म कभी खुशी कभी गम याद आ जाएगी।

जी, हां राज को पत्नी की बैग लेने की जितनी खुशी से साइकिल भागती हुई महसूस हो रही थी, घड़ी बिकने की दुख उतना ही तेज दबाव के साथ साइकिल की हैंडिल पर संभाल रखा था। घर पहुंचने पर दरवाजे से आवाज लगाया सबिता ओ सबिता...। पत्नी को लगा कि नौकरी चली गई या फिर कोई अनहोनी हो गई। डर के कारण कुछ पूछने के बजाय सबिता उसका मुंह देख रही थी।

राज ने अपने पीठ के पिछे किए दूसरे हाथ को आगे बढ़ाया तो हाथ में लाल रंग की बैग देख कर सबिता खुशी से झूम उठी। उसने बिना हाथ की घड़ी पर गौर किये पैसे कहां से आए इसके बारे में जानने की इच्छा जताई। राज ने बड़े प्यार से उसको अंदर ले जाते हुए कहा कि दरअसल, मेरी घड़ी पुरानी हो गई थी सही टाइम नहीं बता रही थी। इसलिए बेचकर तुम्हारे लिए ये बैग खरीद लिया।

सबिता के आंखों से आंसू ऐसे टपक रहे थे कि जैसे उसने सुबह जाते समय बैग की फरमाइस करके कोई बड़ा गुनाह कर दिया था। लेकिन कुछ कहने के बजाय देर तक पति से लिपटी रही। दोस्तो यह भी एक प्रेम है। आज के दौर में ऐसे प्रेम कम ही मिलते हैंं। ऐसे में आप इस वेलनटाइन डे पर अपने पत्नी के लिए कुछ करिए और पत्नी के साथ मनाएं यह पर्व। 

हैप्पी वेलनटाइन डे॥ 

                                                                                                                                    - आकाश चौधरी, अलीनगर, लखनऊ। 

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