12वां दीक्षांत समारोह: राज्यपाल ने कहा- पशुपालन का हमारे देश की कृषि और अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान रहा है

12वां दीक्षांत समारोह: राज्यपाल ने कहा- पशुपालन का हमारे देश की कृषि और अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान रहा है

लखनऊ। पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान, मथुरा का 12वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को राज्यपाल ने उज्ज्वल भविष्य और आगामी होली पर्व की शुभकामनाएं दी। समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण के कार्यों और सामाजिक उन्नति में योगदान की अपेक्षा करते हुए कहा कि किसी भी देश की प्रगति उस देश की शिक्षा, अनुसंधान कार्यों सामाजिक विकास, स्वच्छता से जानी जाती है। राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक जीवन में उन्नति करने वाले देश आज विश्व के विकसित देशों में गिने जाते हैं।

इस दौरान अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की खास विशेषाताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पशुपालन का हमारे देश की कृषि और अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान रहा है। ये हमारी संसकृति का एक हिस्सा है। गाय की सेवा करना हमारी परम्पराओं का हिस्सा है। उन्होंने पशुओं को स्वस्थ बनाने की दिशा में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं का जिक्र अपने सम्बोधन में करते हुए बताया कि इन्ही प्रयासों के कारण देश में दूध उत्पादन बढ़ा है। विश्वविद्यालय द्वारा पशुओं की नस्ल सुधार के लिए किए गए कार्यों की सराहना की।

इसी क्रम में उन्होंने बदलते सामाजिक, भौगोलिक और प्राकृतिक परिदृश्य में विषम होती परिस्थितियों, कृषि चुनौतियों की भी चर्चा की। कहा कि इण्डस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ पानी की खपत बहुत है। इन सेक्टर्स से जुड़े लोगों को जल संरक्षण के प्रति अभियान चलाकर जागरूक कराना चाहिए। इसी चर्चा में  केन्द्र सरकार द्वारा कम पानी में सिंचाई के लिए ‘‘पर ड्राप मोर क्राप‘‘ अभियान का उल्लेख भी किया। केन्द्र सरकार द्वारा भविष्य में देश को जलसंकट से बचाने के लिए ‘‘अमृत सरोवर योजना‘‘ के तहत प्रत्येक जनपद में तालाबों के निर्माण से जल संचयन में मिल रही सफलता तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अभियान की चर्चा भी की। कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को भी अपने परिसर में तालाब निर्माण कराना चाहिए। कहा कि विश्वविद्यालय वर्ष भर में जितना जल उपयोग में लाते हैं, उतने जल संचयन का प्रभावी प्रयास अवश्य करें। यहाँ उल्लेखनीय है कि आज के समारोह का उद्घाटन  मटकी में जलधारा अर्पित कर जल संरक्षण के संदेश के साथ किया।

वर्तमान पीढ़ी में मोटे अनाज के घटते प्रयोग पर भी चिंता व्यक्त की। स्वास्थय की दृष्टि से इसके लाभकारी होने की चर्चा करते हुए इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। कहा कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने मोटे अनाज को ‘‘श्री अन्न‘‘ का नाम दिया है और उनके प्रस्ताव  पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष-2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। देश में हो रही जी-20 देशों की बैठकों की ओर ध्यानाकर्षित कराते हुए कहा कि पहली बार भारत को इन बैठकों का नेतृत्व मिला है। विश्वविद्यालयों को भी अपने प्रदेश में होने वाली इन बैठकों के दृष्टिगत अपनी प्रतिभागिता करनी चाहिए। समारोह में प्राथमिक विद्यालय के 30 विद्यार्थियों को पठन-पाठन की सामग्री एवं पोषण सामग्री प्रदान की।  आंगनवाड़ी केन्द्रों से आयीं कार्यकत्रियों को आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने हेतु खिलौनो एवं अन्य सामग्री की किट प्रदान की।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अनिल कुमार श्रीवास्तव में विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि तथा पशुपालन आयुक्त, पशुधन एवं डेयरी विभाग, नई दिल्ली डॉ0 अभिजीत मिश्रा ने विद्यार्थियों से अपने अनुभव साझा किए और लक्ष्य के प्रति समर्पित रहकर सफलता प्राप्त करने को कहा।

दीक्षान्त समारोह में कुल 131 उपाधियाँ प्रदान की गई, जिसमें स्नातक वेटनरी सांइस की 78, स्नातक बायोटेक्नोलॉजी एवं इण्डस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी की 30, परास्नातक बायोटेक्नोलॉजी की 20 तथा 03 शोध उपाधियाँ प्रदान की गई। विशेष योग्यता के लिए 19 पदक तथा बेहतर प्रदर्शन के लिए 05 अवार्ड भी प्रदान किए गए। प्रदान किए गए पदकों में 14 स्वर्ण, 03 रजत तथा 02 कांस्य पदक विद्यार्थियों ने प्राप्त किए। पदक प्राप्त करने में छात्राओं ने 15 पदक तथा छात्रों ने 08 पदक हासिल किए। उपाधि प्राप्तकर्ताओं में 57 छात्राएं तथा 74 छात्र थे।